अगर इश्क़ हुआ दुबारा तो भी तुझसे ही होगा…. दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी पर आँखों से गिरे आँसू दर्द की आवाज़ कह जाते हैं। मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ !! आख़िर चांद भी अकेला रहता हैं सितारों के बीच। चारों तरफ़ दरिया https://youtu.be/Lug0ffByUck